छत्तीसगढ़ी कविता
(01)
चाल बिगाड़े मोटर भैया
आदत बिगाड़े होटल.ग
,
आजकल के संगी जहुरिया ल, बिगाड़े महुआ के बोतल ग,
,
टीवी सही मोर देवता नीये ,
पेपर सही पूरान,
,
दारू सही अमरीत नीये,
जेला पिये लईका सियान ,
,
गानजा माँगे चना चबेला,
भांगे माँगे घी ,
दारू माँगे जूता चप्पल ,
तै सोच समझ के पी 😜😜😜😜😜😜
(02)
Hamar chhattisgarh
गजब मिठाथे रे संगी, मोर छत्तीसगड़ के बासी.
ईही हमर बर तिरिथ गंगा, ईही हमर बर मथरा कासी.
उठथन बिहनिया करथन मुखारी, अउ झडक थन बासी.
दिन भर करथन काम बुता , पेट नई होवय खाली.
दार दरहन के कामे नईये, नई लगाय साग तरकारी.
दही मही संग नुन मिर्चा, गोन्दली येकर सन्ग्वारी.
के दिन ले बनाबो माल पुआ, के दिन ले बनाबो तसमई पुरी.
कतका ला बिसाबो सेव डालीया , के दिन ले खाबो सोहारी.
समोसा, जलेबी, पोहा, खोआ, रसगुल्ला नइ मिठावय हमला.
नई खाए सकन होटल के रोज, तेलहा, फुलहा भजिया.
सहरिया मन के नकल जो करबो, होजाहि जग हासि.
सबले सस्ता सबले बढीया , मोर छत्तीसगढ के बासी .
""जय छत्तीसगढ""
(03)
दस पईसा के स्याही भरावन
पॉच पईसा म बत्ती
खम्भा-खम्भा घोंस-घोंस के
कर देन ओला चोक्खी
.
बोरी के बस्ता सिलवावन
बोरी ल बनावन छाता
बईठे बर बोरी ले जावन
बेंच कहॉ ले पाता
.
गुरूजी के जब परै चामटी
विद्या झम-झम आवै
दाई-ददा के चलै कुटाई
टिवसन कोन पढावै
.
डेढ बजे त भात खा ले
स्कूल जाय बर बासी
चाऊमीन चोचला छोड दे बाबू
रोटी रहय उपासी
.
बेरा बर ओरिया छॉव देखन
छुट्टी बर देखन खईखा
टीवी मोबाईल कहॉ जी संगी
खेलन लईके लईका
.
का नरवा का खेत-खार
का ठंडा का तात
मजे-मजा म रहे जमो झन
अब तईहा होगे बात
.....................................
(04)
कुछ किस्सा अउ कहानी आय
बूढ़त काल के ये बानी आय।
हाँस - हाँस के जी ले संगी
इही हमर जिनगानी आय।
काल चिन्हें न उमर पच्चीसी
ओकर बर तो दुकानी आय।
होरे - होर के बेरा नइ हे
सरबस ओकर मनमानी आय।
उमर पहा गे हाड़ा टोरत
बेटा मन बर त चानी आय।
झर-झर नयन बोहाबत रहिथे
आँसू नोहे बस पानी आय।
'बरस' कहत हे समझौ- गुनव
बात बनेच्च सियानी आय।
(05)
कउनो खरपतवार बना ले
या फेर गर के हार बना ले।
नाता - रिस्ता नाजुक होथे,
जोड़े बर तैं तार बना ले।
मझधार मा कभू झन बूड़े
खेवइया डोंगहार बना ले।
दूइ ठन अभी हाथ हमर हे,
अब तो ओला चार बना ले।
मन के मइल ल सफा करे बर,
मोला तैं उजियार बना ले।
तोर मया मा मातँव मैं हर,
अइसन तैं मतवार बना ले।
(06)
😝झूठ तो मैं बोलव नहीं,
अउ सच मोला आय नहीं।।।
👍भात मैं खाँव नहीं,
बासी मोला सुहाय नहीं।।।
👍छत्तीसगढ़ मा शासन हे,
फेर २ रूपिया किलो रासन हे,
👎कहिथे कुछ, करथे कुछ,
अइसन ओखर भासन हे।।।
👍अइसन लबरा नेता मन के,
गोठ ह सुहाय नहीं,
😝झूठ तो मैं बोलव नहीं,
सच मोला आय नहीं।।।••••••
👍सर्वशिक्षा अभियान चलत हे,
खेतखार ल बेच पढत हे।।।
👇लटपट एक ठन नौकरी के भेकेंसी,
ता अढ़ई हजार झन फारम भरत हें।।।।
बिन तनखा गुरूजी कर्जा मा बुड्गे,
तेखरे ले आजकल पढाय नहीं।
😝झूठ तो मैं बोलव नहीं,
सच मोला आय नहीं।।।••••••
👱लइका पढ लिख के सुखियार होगे,
गाॅव गली म हीरो बन घूमत हे।।।।
🐓🐐छेरी भईसा बेचे ल परगे,
लईका ओला चराय नहीं
👌जेखर सिफारिस नइहे,
तेखर नौकरी आय नहीं।।
😝झूठ तो मैं बोलव नहीं,
सच मोला आय नहीं।।।••••••
👩बिन दाई के परसे, आऊ बिन मेघा के बरसे।।।।
भुइयाँ के पियास,बुझाय नहीं।।।।
😝झूठ तो मैं बोलव नहीं,
आऊ सच मोला आय नहीं।।
🌻जय छत्तीसगढ़ महतारी 🌻
(07)
*जाड़ ह जनावत हे*
**************
चिरई-चिरगुन पेड़ में बइठे
भारी चहचहावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
जाड़ ह अब जनावत हे।।
हसिया धर के चैती ह
खेत डाहर जावत हे।
धान लुवत-लुवत शैली
सुघ्घर गाना गावत हे।
लू-लू के धान के
करपा ल मढ़ावत हे।।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
जाड़ ह अब जनावत हे।।
पैरा डोरी बरत पकलू
सब झन ल जोहारत हे।
गाड़ा -बइला में जोर के मंगलू
भारा ल डोहारत हे
धान ल मिंजे खातिर कका
बरातू ल बलावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
जाड़ ह अब जनावत हे।।
पानी ल छुबे त
हाथ ह झिनझिनावत हे।
मुहू में डारबे त
दांत ह किनकिनावत हे।
अदरक वाला चाहा ह
बने अब सुहावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
जाड़ ह अब जनावत हे।।
खेरेर-खेरेर लइका खांसत
नाक ह बोहावत हे
डाक्टर कर लेग-लेग के
सूजी ल देवावत हे।
आनी-बानी के गोली-पानी
अऊ टानिक ल पियावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
जाड़ ह अब जनावत हे।।
पऊर साल के सेटर ल
पेटी ले निकालत हे
बांही ह छोटे होगे
लइका ह रिसावत हे।
जुन्ना ल नइ पहिनो कहिके
नावा सेटर लेवावत हे।।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
जाड़ ह अब जनावत हे।।
रांधत - रांधत बहू ह
आगी ल अब तापत हे
लइका ल नउहा हे त
कुड़कुड़-कुड़कुड़ कांपत हे।
इसकूल जाय बर जल्दी से
तइयार ओला करवावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
जाड़ ह अब जनावत हे।।
घर में बइठे-बइठे बबा
बिड़ी ल सुलगावत हे
घाम तापत-तापत बने
नाती ल खेलावत हे।
जांघ में लइका सूसू करदिस
बबा ह खिसियावत हे।।
सुरूर-सुरूर हवा चलत
*जाड़ ह अब जनावत हे।*
😃😃😃😃😃😃😃🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
(08)
उहु का काम के
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
गाड़ा बिना धुरा के
खटिया बिना खुरा के
देवार बिना सूरा के
उहु का काम के।
आदमी बिना पेट के
हसिया बिना बेट के
समधी बिना भेट के
उहु का काम के।
साग बिना लौकी के
घर बिना डौकी के
बेलना बिना चौकी के
उहु का काम के।
संतरा बिना चानी के
राजा बिना रानी के
नहर बिना पानी के
उहु का काम के।
भौरा बिना बाटी के
गोड बिना साटी के
राउत बिना लाठी के
उहु का काम के।
आदमी बिना हांसी के
महल बिना दासी के
बटकी बिना बासी के
उहु का काम के।
पेड़ बिना पान के
खेत बिना धान के
आदमी बिना कान के
उहु का काम के।
बरा बिना दार के
घेंच बिना हार के
तरिया बिना पार के
उहु का काम के।
गाड़ा बिना भईसा के
दुनियां बिना पईसा के
रोटी बिना अरिसा के
उहु का काम के।
लड्डू बिना बुंदी के
अगठी बिना मुंदी के
मुड बिना चुन्दी के
उहु का काम के।
नदिया बिना सागर के
खेत बिना नागर के
आदमी बिना जांगर के
उहु का काम के।
आदमी बिना ज्ञान के
घर बिना सियान के
लईका बिना धियान के
उहु का काम के।
😆😅🤣🤣😀😄😂
(09)
नवा साल आवत हॆ
कुकरी बोकरा मन डर्रावत हे
का होही हमर जी के हाल
सोच के पानी भीतरी
मछरी घलो घबरावत हे
नवा साल आवत हे
मनखे मन खुशी मनाथे
नाचथे गाथे डी जे बजाथे
अउ दारू के नदियाँ बोहाथे
देख के ये तमासा ल
मूसवा घलो लुकावत हे
नवा साल आवत हे🎂
(10)
😌 वो चल देहे तीजा ☺
वो चल देहे तीजा लइका मन ल धर के।
मोर माथे होगे जिम्मेदारी पूरा घर के।।
काम बूता किसनो करके अलवा जलवा करत हंव।
झाड़ू पोछा मांजना धोना पानी घलो भरत हंव।।
साग पान के का कहिबे कभू सिट्ठा त कभू खारो।
मजा देखे बर फोन म वो लेवत रहिथे आरो।
हाँसो चाहे गारी देवव अपन हाल बतात हंव।
एक्के घांव रानंध के तीन बेर ले खात हंव।।
मइके जाके मजा करत हे, मिलके भाई भतीजा।
ये तीजा चक्कर म रोज निकलत हे हमर नतीजा।।
एकक दिन बच्छर कस बीते लागय सुन्ना सुन्ना ।
घर दुवार ये कुरिया कोठा दिखय निचट जुन्ना।।
जेकर बेंदरा ओकरे ले नाचथे सच हावे ये हाना।
नारी बिना घर संसार के नइ हे कुछू ठिकाना।।
🙏🙏🙏
(11)
धनहा हरियागे अउ परिया हरियागे
सावन के बरसा मा जम्मो बईहागे
करियाए बादर भूईया मा घुमरगे
मया के मारे अंतस मा उतरगे चमक गरज मा मया छरियागे सावन के बरसा भे जम्मो बईहागे
रोवत हे झिँगुरा त हासत हे मेचका
बासत हे चिटरा अउ नाचत हे टेटका
कूम्हड़ा अउ तुमा ढेखरा मा लपटागे
सावन के बरसा मा....
माते हे गली अउ बिच्छल हे तरिया
नाँगर के पाछु गावे ददरिया अंधरी माछी के मारे बईला भगागे
सावन के बरषा मा जम्मो बईहागे
(12)
बहेरा ल चगले अऊ गुठलू ल उलगे,
पखरा म फोर मै खायेव चिरवँजी
भेलवा के बीजा म पियर पियर गूदा
मार के लबेदा झर्रावत रेहेव जी
बूटा म सहले बरमसी करेला
छाँट निमार मै लावत रेहेव जी
फोटु मा देखव हरियर डोँगरी
इही डोँगरी म छेरी चरावत रेहेव जी
ये उही जंगल जिहा मोर ननपन के सुरता हँमाय हे , स्कूल ले आँव त छेरी चराय बर जाँव, आय बर छ.ग. आय फेर हिन्दी भाषी लोगन जादा राहय। मोला हिन्दी नइ आय, मे पहली दिन स्कूल गेव हाजरी लिस मोर नाव सबले पहिली अइस , मे का जानो इहा yes madam कथे , मे जी हाजिर केहेँव अलका मेडम किहिस ! कहाँ से आया ये पागल ? ऊही दिन मे पागल होएव ते आज ले हँव पागल। हाँ फेर मे चार दिन मे सीखगेंव । फेसबुक मे छेरकिन देखाके छेरका ल जगादेव धन्यवाद।
(13)
🎊 छेर छेरा तिहार 🎊
~~~~★★★~~~~
अन्न दान के परब हरे ,
हमर गंवई गांव के तिहार ..।
जुर मिल सबो संगी ,
धान निकाले बर पारबो गोहार..।।
कूट मिंज कोठी म रखथे ,
नवा फसल खेती किसानी के..।
गांव गली अउ घरों घर ,
बड़ मन भावन लागे पूस पुन्नी के ..।।
लईका सियान मन ह ,
टोली बनाके चिल्लाथे छेरी के छेरा..।
अपनापन सबो मनखे लागे ,
धान के दान बर माई कोठी ले हेर हेरा..।।
लोक परम्परा बने रहाय ,
छत्तीसगढ़ के जम्मो हमर गंवई गांव ह ..।
संस्कृति अउ समरसता म ,
धरोहर खातिर कभू झन पड़े बिपत के छांव ह ..।।
#सबो संगवारी मन ल छेर छेरा तिहार के बधाई अउ शुभकामनाएं 💐💐👏
(14)
द्वार – द्वार म डालबो डेरा
गांव- गली के करबो फेरा
कंधा म झोला लटकाबो
अऊ जोर से कईबो…
छेर-छेरा….
कोठी के धान ला हेर हेरा
अरन बरन कोदो करन, जभे देबे तभे टरन,छेरिक छेरा माई कोठी के धान ल हेरिक हेरा।
*छेर छेरा तिहार के जम्मो छत्तीसगढ़िया संगवारी मन ल “कोठी कोठी “बधाई...*🌾
(15)
अईसन दिन आगे संगी
कोन सुनय गरीब के पुकार ल
रोज कतको ल दारु पी देथे
गरीब डाहन नई देवय ध्यान
अईसन दिन आगे संगी
अपन पहिने कुरथा ल दे दै
तभो दीन निकल जय गरीब के
गरीब ठडा म रैनिया तापत हे
तभो नई देवय ध्यान
अईसन दिन आगे संगी
आज के दीन म काम तको नई
मिलय ये गरीब मन ला
ओढ़े बर चादर नईहे
बोरा ल ओढ़ दीन गुजारत हे
अईसन दीन आगे संगी
सुते बर घर कुरीया नईहे
दुसर के जगा म दीन गुजारत हे
नवा बछर म कतको उड़ा दीस
गरीब कोती नई ध्याय दीस
रद्दा जोहत खडे हे गरीब
दे दै कोनो ध्यान
दीन गजर गे
फेर नई दीस कोनो ध्यान
अईसन दीन आगे संगी
अऊ कतेक ला सुनावव
मोर संगवारी मन ले निवेदन हे
आप मन के आस पास कोनो
गरीब मीलही त दे देहु ध्यान
(16)
दू पैग अउ ढार दीदी,
काहे के लचारी हे।
डर नईये जमाना के,
अब तो, दारू घलो सरकारी हे।।
अब तो एसों घोसना होही,
"दारू वाले बबा"के भासन मा।
चांउर संग 'पउव्वा'मिलही,
अवईया पारी के राशन मा।।
हमरो संख्या घलो भारी हे....
दू पैग ढार.......।
अब तो दरूहा संघ बनाबो,
सरकार होही फेर मुट्ठी मा।
दारू संग चखना देवाबो,
सरकारी दारू भट्ठी मा।।
सरकार बनाए मा,
हमरो दावेदारी हे.....
दू पैग ढार....।
खूब बेंचाए हे दारू एंसो,
अब दारू तिहार मनाही ओ।
मतवार मन बर अलग ले,
दरुहा कारड बनाही ओ।।
हमरे पहिली नम्बर लगही,
सरकार हमर संगवारी हे.....
दू पैग ढार..। हमला डर....
✍️ मितान
नो कालेज फूल नालेज
(16)
।।सबले बढ़िया छत्तीसगढिया।।
निरमल बानी सप्फा मन हे
हिरदय मया के कुरिया।
एकरे सेती कईथे भइया
सबले बढ़िया छत्तीसगढिया।।
अपन मिहनत के खाथन कमाथन
नई जानन झूठ अउ लबारी।
सती साबित्री सीता जईसन
ईंहा के दाईं अऊ महतारी।।
बेस भूसा रीत रिवाज़
सुग्घर ईंहा के बोली ठोली।
खेती करईया किसान मितान
सुग्घर हाबय धनहा डोली।।
बड सीधवा हे भोला भाला
दया धरम के चिन हईया।
एकरे सेती कईथे भइया
सबले बढ़िया छत्तीसगढिया।।
(17)
झन रो संगी
******************
झन रो संगी झन रो भाई
एक दीन हमरो आही रे
लंईका पन हवन त दूख ल झेलबो
हमरो दीन आही त हमु मन बोलबो
कब तक रही गरीबी हमर साथ रे
चुप हो जा मोर भाई चुप हो जा रे
हमर दाई ददा ह भले छोड़ दे हवय
परे हन डहर म हमर संग भगवान हवय
झन डरा ना भाई झन डरा ना रे
बड़े होहु ताहन तोला पढ़ाहु
पढ़ा लिखा के जग म नाम कमाहु
भले मोर जिनगी खुवार हो जय
फेर दुनिया म होहय तोर जय
झन रो मोर भाई झन रो ना रे
मेहनत मजदुरी हमर नसीब हवय
नई करन देवव मेहनत मजदुरी रे
कंईसन रहीस हमर दाई ददा
रसता डहर म छोड़ दीस हवय
झन डरा मोर भाई झन झन डरा रे
पढ़ लिख लेबे तहन बाबु साहेब बनबे
झन भुलाबे हमर गरीबी के दीन रे
हमर असन गरीब के संग देबे
झन करबे अमीरी के घमंड रे
झन करबे अमीरी के घमंड रे
झन रो मोर भाई झन रो ना रे
*******************************
(18)
हमन लईका रेहेन त पढई लिखई के छोड सब्बो करम करे हन।आज के लईका मन अईसन खुशी ल आज नई पा सके। हमर खुशी ल देखो--
सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ :
"आज गांव में वीडियो आये हे बे।
सबसे बड़ी उत्सुकता :
"काय पिचर लाये हाबे रे"
सबसे बड़ा इंतज़ार : "गर्मी के छुट्टी कब आही"
सबसे बड़ी अफवाह :
"गणित वाले मास्टर जी मर गे रे "
सबसे अच्छा टाइम पास :
"किसी फिलम की कहानी सुनाना"
सबसे बड़ा सदमा :
"चित्रहार शुरू होते ही लाइट गोल"
सबसे बड़ा दुश्मन :
"रोज पहाड़ जैसा भारी भरकम पहाड़ा याद करना"
सबसे बड़ा हथियार :
"पट्टी अऊ पेन्सिल"
सबसे बड़ी धमकी :
"खाना खाए के छुट्टी में देख लुहुं सारा तोला"
सबसे बड़ा रुतबा :
"क्लास का केप्टन बनना"
सबसे बड़ी लक्जरी :
"टिप टॉप घड़ी"
सबसे बड़ी कलाकारी :
"पट्टी ला अपन थूक में पोंछना"
सबसे अच्छी तैयारी :
"होली बारे बर लकडी सकेलना"
सबसे मुश्किल तैयारी :
"वार्षिक पेपर की"
सबसे सुकुनदायक खबर :
"आज विज्ञान वाले गुरजी नइ आइस"
सबसे बड़ी ख्वाइश :
"परीक्षा मे कम से कम क्रिपोत्तण पास हो जाऊं"
सबसे बड़ी ब्लेकमेलिंग :
"काली तोर बाबू तोला बीड़ी पियत देख डारिस, बेटा मोला पूछत रहिस"
सबसे बढ़िया फ्रूट :
"बोइर"
सबसे बढ़िया ड्रिंक :
"बोरिंग के ठंडा अऊ मीठ पानी"
सबसे स्वादिस्ट डिश :
"घर के लोहा टिना बेच के ले वाले बरफ"
सबसे अच्छे दोस्त :
"राजन एकबाल और चाचा चौधरी"
सबसे अच्छी जानकारी :
"काखर काखर घर टीवी हाबे"
सबसे बढ़िया खेल :
"सारे ही बढ़िया थे.. गिल्ली डंडा, पिट्ठूल , बाटी जित, डंडा पिचरंगा, माटी के गोद्दुल, रेस टिप..."
सबसे बड़ी अमीरी :
"नवा पेंट शर्ट"
सबसे बड़ा सपना :
"अपन ममा घर जाना घुमे बर"
सबसे डरावना सवाल :
"कहा गे रेहेस रे.....?"
सबसे झूठा जवाब :
"इहें रेहेंव बाबू औ का.."
सबसे बड़ी शिकायत :
"ए मोला पहिले ल मारिस"
सबसे बुरी बात :
"वो बचपन वापस नहीं आ सकता और इन मीठी यादों को भुला देना...."
😍😍😍😍
(19)
"अईसन कलजुग आगे"
कलयुग आगे संगी कलजुग आगेगा
अईसन हे जमाना आगे
डोकरी माता आगी बारय
बहु गावय गाना
बेटा हर मेड़वा होगे
अईसन जमाना आगे
बाप बेटा दारु पीयय
अऊ पीयय गांजा
घर म भुरी भांग नई हे
अईसन हे जमाना
कलजुग आगे अईसन हे जमाना
बुढ़ी दाई पेंसन झोकय
नाती लुटन लागय
बहु हर खुल खुल हासय
डोकरी रोवन लागय
अईसन जमाना आगे
कलजुग के जमाना आगे
चेला के लागय पांव
गुरू बिचारा काय करय
चेला के आगे जमाना
अईसन कलजुग हे जमाना
ईही हरय जमाना
**********************
(20)
छाय बर नइहे खपरा बजावत हे डफरा
धरे हवय एन्ड्रायड फोन होगे निचट लबरा
टुरा ह टुरी ल कहिथे ये टुरी क्या बोलती
टुरी एड़ी धरके पीटहू तोला कहिके चप्पल खोलती
डोहरा ह डोकरी ल देख देख के मेछरावत हे
तोरे लचके कमर तोरे तिरछी नजर गावत हे
प्रिया प्रकास के चरचा टी वी म बड़ होवत हे
संसो मा डोकरी डोकरा के नींद पुरा नइ होवत हे
(21)
घुमेबर चलदेंव मेंह एकदिन गउ दारु भट्ठी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी अउ चपटी म
देखेव जाके जब अनर बनर
पियत बइठे सब जतर कतर
चांटत रहे नुन पीये के हे धुन
चाबवत चना ल कटर कटर
चलायके नंइहे सकति फेर चड़के जावै फटफट्टी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी अउ चपटी म
सुआरी लइका के मोह नंइहे
दानापानी के थोर संसो नंइहे
लगेहे लत इंहां पियकड़ु के
कोनों चाहे अब कहीं कइहे
पीयेबर पइसा निही त पइसा भिड़ाय चोरकट्टी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी अउ चपटी म
हर पियकड़ु जेब म अधार धरथे
पइसा नी रही जोगड़ कोनो करथे
संगवारी खोजथे पियकड़ु अपन
जीते जीयत पीही पीते पीयत मरथे
अलप समय पियइया ल जात देखेव मरघट्टी म
का मोहनी डराय रथे बाटल अदधी चपटी म
(22)
(1) वाह रे मोर छत्तीसगढ के नव -जवान ॥
काम बुता करना नई हे बीत्ता भर के जबान
पिले हे दारू ल गली म गोल्लर कस होंकडथे॥
अऊ घर म जाके डऊकी लईका ल भोंकडथे
गली गली गोल्लर कस घुम घुम के दारू ल पियत हे ॥
का टेंशन डऊकी के कमई म जियत हे
पिले हे गांजा ल गेजेर गेजेर हाँसथे॥
अऊ रात कन मरे डोकरा कस खेसेर खेसेर खाँसथे
😆😆😂😂😂😉😬😃😄😊
(2) वाह रे मोर छत्तीसगढ के.....
जेब म नई हे पईसा बार बार कोठी ल देखत हे ॥
दारू पिये बर लुका लुका के धान ल बेचत हे
दिखथे हिरो बरोबर फेसन भस ल मान ॥
काम बुता तो करना नई हे पुटानी बस ल जान
कमाना धमाना नई हे घुम घुम के खाना हे ॥
हपता म चार दिन छुट्टी त दू दिन जाना हे
🙋🙌🙎🙏😞😞😛
(3) वाह रे मोर छत्तीसगढ के ....
एक रूपिया किलो म चाऊर मिलथे उही ल खाके जीना हे॥
एक दिन चाऊर बर कमाना हे त बाकी ल कूद कूद के पीना हे
जवानी के राहत ले कूद कूद के घूमना हे॥
डोकरा हो जाबो त का हे निराशी तो मिलना हे
घर म नई हे खाये बर दाना दारू बर चाऊर ल बेचत हे ॥
दारू ल पिके ओहा डऊकी लईका ल पिटत हे
वाह रे मोर छत्तीसगढ के नव- जवान ॥
काम बुता करना नई हे बीत्ता भर के जबान
जय श्री राम
(23)
अंतस ले कोनो ल मया करके
दगा ओला ल नि देना चाहि
मया पिरित के नाता रिस्ता म
गले लगाके निभा लेना चाहि
सुरता के आस म थर थर रोवय
नईना मिलाके हंसवा देना चाहि
मिले बहाना रद्दा बाट जोहयं
हांसी ठिठोली मना लेना चाहि
तोला सुरता करके कोनो रोवयं
हिरदय ले ओला मना लेना चाहि
जिनगि भर के पिरित मयारु
संग छुटे के मउंका नि देना चाहि!!
✍�#मयारुक_छत्तीसगढ़िया
(24)
मोर मन के मितवा मयारू,,,
सुरता म समाये हस!!
मया के रोग लगा के,,,
मोला तै तरसाये हस!!
का जादू तै करे ग बैहा,,,
मोर मन तै हा समाये हस!!
होगे हव तोर मया के दिवानी,,,
कईसे तै नई पहिचाने हस!!
करथव तोर ले मया मै अब,,,
काबर तै दुरिहाये हस!!
मोर मन के मितवा मयारू,,,
सुरता म समाये हस!!
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहौत बहौत धन्यवाद हमारे छत्तीसगढ़ संस्कृति ल बनाये रखे बर
DeleteBahut Sundar rachna
ReplyDeleteBadhai ho
Mahoday
बहुत सुघर लेख
ReplyDeleteGjb
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ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता लिखे हस भैया सादर प्रणाम औ निमंत्रण
ReplyDeleteTbahi he ji tor kavita ha lajwab
ReplyDeleteगजब लिखें, मोर भाई
ReplyDeleteSandar jabardast
ReplyDeleteबहुत सुंदर छत्रपाल भाई तौर कोई जवाब नही।
ReplyDeleteछत्रपाल भाई,छत्तिसगढिया सबले बढिया, वाला ह मोर रचना ए।तुँहर असन मन ह असने बिना नाम के ब्लाग मे डाल के वाहवाही लूटत हव।ए अच्छा बात नैईहे
ReplyDeleteBahut sunder likhe hv sngi
ReplyDeleteरूपेन्द्र कुमार साव
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बढ़िया कविता लिखे हो भाई
Bro mai apke is sundar kavita pe eak cg song banana chahta hu kiya apki anumati hai?? Plj reply me
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता जी👌👌👌👌👍👍👍💐💐💐
ReplyDeleteअब्बड़ सुघ्घर मोर भाई
ReplyDeleteBahut Sundar bhaiya
ReplyDeleteमोला मोर बानी नीक लगे हे संगवारी
ReplyDeleteये मोर जन्मभूमि यही मोर हे जिंदगानी
यही मोर बचपन बीते हे यही मोर जवानी
सब मनखे ल सुघघर रखबे हे माता भवानी
बहुत सुंदर हे जी अपमन के कविता
ReplyDeleteMja age ji Chattisgarhiya sable badiya
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteBahut HI sundar rachna He Sir aapke man au hriday dono la aanand aage pdh K.... Jitna tarif kare kam He.. 🙏🙏🙏
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