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[7/5, 11:10 AM] Chhatrapal Sahu: अब तो गिरजा रे पानी। भले फूटे भाड़ी चाहे चूहे छानी।। पानी ह गीरत नईहे। नांगर ह गड़त नईहे ।। बतर के दिन ह आगे। कतको ह बोवत हे कतको के बोवागे।। बोवाय धान ह सुखावत हे। जागे...

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